Raksha Bandhan: 2020 Date मुहूर्त, Puja Timings, कैसे बनाये जानिए हिंदी में इसका महत्व
Raksha Bandhan 2020 सोमवार, 03 अगस्त को भारत में मनाया जाएगा। राखी (धागा समारोह) बाँधने का शुभ समय सुबह 09:28 बजे शुरू होता है और रात 09:17 बजे समाप्त होता है। रक्षा बंधन हर किसी के दिल में एक विशेष स्थान रखता है। भारत में सबसे प्रतिष्ठित त्योहारों में से एक, यह हिंदू-त्योहार भाई और बहन के बीच विशेष बंधन का जश्न मनाता है।
इस साल कई लोग अपने भाई-बहनों और परिवार के अन्य सदस्यों से मिलने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, क्योंकि उन्होंने Covid-19 महामारी पैदा कर दी है। लॉकिंग या सोशल डिस्टेंसिंग नियम के कारण भाई-बहन एक-दूसरे से दूर हो सकते हैं।
रक्षाबंधन श्रावण मास में पूर्णिमा के दिन या पूर्णिमा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
Raksha Bandhan की तारीख और समय
सावन पूर्णिमा की तिथि 2 अगस्त को रात्रि 8.43 बजे से शुरू होगी, भद्रा शुरू होने के बाद 3 अगस्त को सुबह 9.28 बजे तक रहेगी। भद्रा समाप्त होने के बाद राखी बांधी जा सकती है। वैसे 3 अगस्त को शुभ मुहूर्त दो चरणों में राखी बांधने के लिए मिलेगा। पहला दोपहर 1.35 से शाम 4.35 बजे तक है, इसके बाद शाम 7.30 से रात्रि 9.30 बजे के बीच बहुत ही शुभ मुहूर्त है।
रक्षा बंधन या राखी मंत्र
संस्कृत में रक्षासूत्र मंत्र
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः |
तेन तन्ह मनुभधनामि, रक्षन्माचल माचल ||
अंग्रेजी में रक्षासूत्र मंत्र
येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः |
तेन तवामाभिबध्नामि रक्षे माचल माचल ||
रक्षासूत्र मंत्र अर्थ
मैं आपको उसी रक्षा सूत्र से बाँधता हूँ जो सबसे शक्तिशाली, साहस का राजा, राक्षसों का राजा, बाली को बाँधता है। हे रक्षा (रक्षा सूत्र), कृपया कदम न रखें और वर्ष भर तय रखें।
कैसे मनाएं रक्षाबंधन
राखी की थाली सजाएं। जिसमें रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षा सूत्र यानी राखी और मिठाई रखें। इसके बाद घी का दीपक भी रखें। सबसे पहले, रक्षा सूत्र और पूजा के धागे भगवान को अर्पित करें, इसके बाद अपने भाई को पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठें। सबसे पहले भाई के माथे पर तिलक लगाएं। रक्षा सूत्र बांधें और आरती करें, इसके बाद अपने भाई को मिठाई खिलाएं। इस बात का ध्यान रखें कि राखी बांधते समय भाई और बहन दोनों का सिर ढंका होना चाहिए, इसके बाद अपने बड़ों का आशीर्वाद लें।
राखी का महत्व
रक्षाबंधन त्योहार से जुड़ी एक पौराणिक कहानी है। जिसके अनुसार एक बार देवताओं और असुरों के बीच युद्ध शुरू हो गया, जिसमें देवताओं ने हार की स्थिति को समझा। तब इंद्राणी की पत्नी इंद्राणी ने देवताओं के हाथों में एक सुरक्षा कवच बांध दिया, जिससे देवताओं की जीत हुई। ऐसा माना जाता है कि यह रक्षा विधान श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को शुरू किया गया था।
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